“What no wife of a writer can ever understand is that a writer is working when he's staring out the window” -Burton Rascoe
गुरुवार, 17 दिसंबर 2009
गूगल-गूगल कित्ता पानी
गूगल ने पिछले दिनों समंदर के भीतर भी कदम रख दिए। गूगल अर्थ के बाद की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना गूगल ओशन में हमारी दुनिया में मौजूद महासागरों और साइबर स्पेस में सूचनाओं के महासागर का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। सतह के भीतर की समुद्री दुनिया का थ्री-डी सैर के बीच आप दुनिया के जाने-माने साइंटिस्ट, रिसर्चर और समुद्री खोजकर्ताओं से मिली जानकारियों को महज एक क्लिक में हासिल कर सकते हैं। दरअसल गूगल ओशन की अनोखी परिकल्पना को हम एक सिंबल के रूप में देख सकते हैं।
हकीकत यह है कि गूगल लगातार उन क्षेत्रों में विस्तार करता जा रहा है, जिनके बारे में पहले कभी सोचा ही नहीं गया था। इस वक्त गूगल अर्थ के जरिए नदियों की हजारों मील लंबी विलुप्त सीमाओं को मापने का काम चल रहा है। माना जा रहा है कि यह भविष्य में कई अंतरराष्ट्रीय विवादों का निबटारा करने में मदद पहुंचायेगा। डरहम विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय सीमा शोध इकाई के रिसर्चर्स ने पाया कि विश्व की नदियों की सात फीसदी सीमा रेखा विलुप्त हो गई है।
दूसरी तरफ भारत जैसे देशों में गूगल अपनी मैप मेकर सेवा का विस्तार कर रहा है। इसकी मदद से लोग अपने-अपने इलाकों के नक्शे तैयार कर सकते हैं। भारत जैसे बड़े देश के लिए जहां कई इलाकों के सही और विस्तृत नक्शे उपलब्ध नहीं हैं, वहां गूगल की मैप मेकर सेवा एक वरदान बनकर सामने आई है। सेवाओं में विस्तार की नीति के तहत गूगल ने अमेरिका की घरेलू सेवाओं में भी कदम रख दिया है। वहां गूगल की एक नई सेवा के तहत लोग घर में बिजली व कुकिंग गैस की दैनिक खपत को जान सकेंगे। जानकारी उनको हर घंटे अपने कंप्यूटर या मोबाइल पर मिल जाएगी। ‘गूगल पावर मीटर’ नाम की इस सेवा से अगले 10 साल में 10 करोड़ लोगों को जोड़ने का इरादा है। इसके लिए तैयार एक खास सॉफ्टवेयर आईगूगल के होम पेज से डाउनलोड किया जा सकेगा। वहीं सैन फ्रांसिस्को में गूगल ने अपनी वॉइस मेल सेवा को आम लोगों के लिए खोल दिया है। लोगों की जरूरतों को देखते हुए सेवा में कई सुधार भी किए गए हैं।
गूगल भारत में अपनी इसी रणनीति का विस्तार चाहता है, इसके संकेत हाल ही तब मिले जब गूगल ने नागरिकों को विशेष पहचान संख्या (यूआईडी) देने की महत्वाकांक्षी परियोजना से जुड़ने का इरादा जाहिर किया। गूगल इंडिया के प्रबंध निदेशक ने मीडिया से कहा था कि कंपनी अपनी तरफ से सरकार से संपर्क नहीं करेगी, यह फैसला सरकार को करना होगा कि हम कैसे मददगार हो सकते हैं।
कंपनी भारत में थ्री-जी की भी गहराई से स्टडी कर रही है। गूगल की दिलचस्पी देश में बीडब्ल्यूए स्पेक्ट्रम में बढ़ रही है। माना जा रहा है कि भारत में ब्रॉडबैंड वायरलेस तकनीक का इस्तेमाल तेजी से बढ़ने जा रहा है और फिक्स्ड लाइन इंटरनेट की जगह मोबाइल इंटरनेट पर विज्ञापनों की भरमार हो जाएगी। ऑनलाइन बिजनेस में गूगल ऐडवर्टीजमेंट्स की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है, इसलिए गूगल का रुझान नेचुरल है। अभी गूगल ने मोबाइल फोन पर ऐड अवेलवेल कराने वाली कंपनी एड़ोब को खरीदने के लिए 75 करोड़ डॉलर चुकाने के फैसले के साथ ही ऑनलाइन मोबाइल विज्ञापन में विस्तार की कंपनी की रणनीति का संकेत दे दिया है।
इंटरनेट सर्विसेज़ में भी गूगल का एकाधिकार है। गूगल ने क्रोम वेब ब्राउजर लांच करने के नौ महीने बाद ही क्रोम आधारित वेब ब्राउजर की झलक भी दिखा दी। कंपनी का मकसद लोगों को एक ऐसा आपरेटिंग सिस्टम देना है जो तेज हो और इंटरनेट से लगातार जुड़ा हो। नेटबुक खोलते ही क्रोम ओएस खुल जाएगा यानी यूजर को ओपरेटिंग सिस्टम लोड होने का इंतजार नहीं करना होगा। इसे ओपेन सोर्स की तर्ज पर विकसित किया जा रहा है और इसमें यूजर अपनी जरूरत के मुताबिक बदलाव कर सकेगा।
यूजर को दी जाने वाली अन्य सुविधाओं में एक 'सोशल सर्च' इंजन पर गूगल काम कर रहा है। इसके जरिए ब्लॉग्स और ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट पर मौजूद लोगों को आसानी से ढूंढ़ा जा सकेगा। वहीं एक साल के भीतर जीमेल को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में बदलने का इरादा है। इसके अलावा गूगल पर प्रतिदिन लाखों की संख्या में गानों से संबंधित खोज की जाती है। लिहाजा गूगल ने lala.com और मायस्पेस के ilike.com से गठबंधन किया है। अब जब भी गूगल पर किसी गाने की खोज की जाएगी तो गाने से संबंधित कड़ियों के अलावा म्यूज़िक प्लेयर भी दिखेगा, जिसकी मदद से गाने को सुना जा सकेगा।
इतना ही नहीं इंटरनेट ब्राउज़िंग को नया आयाम देने और आँकड़ों के ओनलाइन स्थानांतरण को तेज गति प्रदान करने के लिए गूगल की टीम एक नए प्रोटोकोल को विकसित कर रही है। इस पूरी परियोजना का नाम है प्रोजेक्ट स्पीडी. प्रोजेक्ट के तहत एक नया इंटरनेट प्रोटोकोल विकसित किया जा रहा है जो है – spdy:// . गूगल के अनुसार यह नया प्रोटोकोल वर्तमान प्रोटोकोल http:// से अधिक तेज कार्य करेगा।
इस तेज विस्तारवादी नीति के चलते गूगल कई बार विवादों में भी घिर जाता है। इन विवादों की ताजा कड़ी में दुनिया की दो बड़ी समाचार संस्थाओं की यह टिप्पणी शामिल है कि गूगल सहित अन्य सर्च इंजनों को न्यूज़ उपलब्ध कराने के बदले भुगतान करना होगा। रूपर्ट मर्डोक तो गूगल द्वारा उनके न्यूज़ कंटेट के इस्तेमाल पर रोक लगाने की तैयारी में हैं। भारत में गूगल तब विवादास्पद हुआ जब गूगल अर्थ में सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील हिस्से आसानी से देखे जाने लगे। दूसरा विवाद उस वक्त हुआ जब उसने गूगल-मैप में भारतीय भूभाग को चीन का हिस्सा दिखाना शुरू कर दिया। हालांकि कुछ खबरों के मुताबिक बीच में गूगल ने इसे मानवीय भूल बताते हुए संशोधित करने की बात भी कही थी। वहीं चीन के विदेश मंत्रालय ने आरोप लगाया कि इंटरनेट सर्च इंजन गूगल का अंग्रेजी संस्करण अश्लील सामग्री फैलाकर देश के कानून का उल्लंघन कर रहा है।
मगर गूगल की तेज रफ्तार के बीच यह छोटे-मोटे झटके ही कहे जाएंगे। जैसा कि मैंने पहले कहा कि महासागर की गहराइयों को नापने के साथ-साथ वह सूचना महासागर की अथाह गहराइयों में डुबकी लगा रहा है। हम तो हर रोज उनके नए एप्लीकेशंस और सर्विसेज के बीच यही पूछ सकते हैं, गूगल-गूगल कित्ता पानी....
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'आई-नेक्स्ट' में 22 नवंबर 2009 के अंक में प्रकाशित
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1 टिप्पणी:
सच में गूगल बहुत अच्छे से कार्य कर raha है...
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