गुरुवार, 20 अगस्त 2009

कॉमिक्सः वो कहानियां, वो किरदार

इंद्रजाल कॉमिक्स में जाहिर तौर पर ली फॉक के किरदार ही छाए रहे, मगर बीच का एक दौर ऐसा था जब इसने कुछ नए और बड़े ही दिलचस्प कैरेक्टर्स से भारतीय पाठकों से रू-ब-रू कराया। मैं उन्हीं किरदारों पर कुछ चर्चा करना चाहूंगा। कॉमिक्स की बढ़ती लोकप्रियता के चलते 1980 में टाइम्स ग्रुप ने इसे पाक्षिक से साप्ताहिक करने का फैसला कर लिया। यानी हर हफ्ते एक नया अंक। शायद प्रकाशकों के सामने हर हफ्ते नई कहानी का संकट खड़ा होने लगा। 1981-82 में अचानक इंद्रजाल कॉमिक्स ने किंग फीचर्स सिंडीकेट की मदद से चार-पांच नए किरदार इंट्रोड्यूस किए। मेरी उम्र तब करीब दस बरस की रही होगी। मुझे ये किरदार बहुत भाए। इसकी एक सबसे बड़ी वजह यह थी कि ये सारे कैरेक्टर वास्तविकता के बेहद करीब थे। उन कहानियों में हिंसा बहुत कम थी और वे एक खास तरीके से नैतिक मूल्यों का समर्थन करते थे।


सबसे पहले जो कैरेक्टर सामने आया वह था कमांडर बज सायर का। कमांडर सायर की पहली स्टोरी इंद्रजाल कॉमिक्स में शायद खूनी षड़यंत्र थी। कमांडर सायर की कहानियों की सबसे बड़ी खूबी यह थी कि उनके कैरेक्टर वास्तविक जीवन से उठाए हुए होते थे। इनके नैरेशन में ह्मयूर का तड़का होता था। इनमें से कई कहानियां क्राइम पर आधारित नहीं होती थीं। वे सोशल किस्म की कहानियां होती थीं। जैसा कि मुझे याद है एक कहानी सिर्फ इतनी सी थी कि एक बिल्ली का बच्चा पेड़ पर चढ़ जाता है और उतरने का नाम नहीं लेता। फायर ब्रिगेड वाले भी कोशिश करके हार जाते हैं। आखिर कमाडंर सायर पेड़ पर चढ़कर उसे पुचकार कर उतारते हैं। एक अकेली विधवा मां और उसके बच्चे की कहानी, अनजाने में अपराधी बन गए दो बच्चों की कहानी... कुछ यादगार अंक हैं। आम तौर पर इनका कैनवस अमेरिकन गांव हुआ करते थे।


इसके तुरंत बात दूसरा कैरेक्टर इंट्रोड्यूस हुआ कैरी ड्रेक का। ड्रेक एक पुलिस आफिसर था। यहां भी कुछ खास था। पहली बात किसी भी कॉमिक्स मे कैरी ड्रेक बहुत कम समय के लिए कहानी में नजर आता था। अक्सर ये कहानियां किसी दिलचस्प क्राइम थ्रिलर की बुनावट लिए होती थीं। कैरेक्टराइजेशन बहुत सशक्त होता था। एक और खास बात थी कैरी ड्रेक के अपराधी किसी प्रवृति के चलते अपराध नहीं करते थे। अक्सर परिस्थितियां उन्हें अपराध की तरफ ढकेलती थीं और वे उनमें फंसते चले जाते थे। इन कहानियों का सीधा सा मोरल यह था कि अगर अनजाने में भी आपने गुनाह की तरफ कदम बढ़ा लिए तो आपको अपने जीवन में उसकी एक बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी और तब पछतावे के सिवा कुछ हाथ नहीं लगे। कुछ अपनी जिद, तो कुछ अपनी गलत मान्यताओं के कारण अपराध के दलदल में फंसते चले जाते थे। हर कहानी में एक केंद्रीय किरदार होता था। उसके इर्द-गिर्द कुछ और चरित्र होते थे। उन्हें बड़ी बारीकी से गढ़ा जाता था। अब मैं उन तमाम चरित्रों को याद करता हूं तो यह समझ मे आता है कि उसके रचयिता ने तमाम मनोवैज्ञानिक पेंच की बुनियाद पर उन्हें सजीव बनाया जो कि वास्तव में एक कठिन काम है और हमारे बहुत से साहित्यकार भी इतने वास्तविक और विश्वसनीय चरित्र नहीं रच पाते।


इसके बाद बारी आती है रिप किर्बी की। इंद्रजाल में रिप किर्बी की पहली कहानी हिन्दी में रहस्यों के साए और अंग्रेजी में द वैक्स एपल के नाम से प्रकाशित हुई थी। साफ-सुथरे रेखांकन वाली इन कहानियों मे एक्शन बहुत कम होता था। मुझे रिप किर्बी की एक कहानी आज भी याद है, जिसमें रिप किर्बी और उनका सहयोगी एक ऐसे टापू पर जा पहुंचते हैं जो अभी भी 1830 के जमाने में जी रहा है। बाहरी दुनिया से उनका संपर्क हमेशा के लिए कट चुका है। वहां पर अभी भी घोड़ा गाड़ी और बारूद भरकर चलाई जाने वाली बंदूके हैं।




इस पूरी सिरीज में मुझे सबसे ज्यादा पसंद माइक नोमेड था। अभी तक मैंने किसी भी पॉपुलर कॉमिक्स कैरेक्टर का ऐसा किरदार नहीं देखा जो बिल्कुल आम आदमी हो। उसके भीतर नायकत्व के कोई गुण नहीं हों। यदि आपने कुछ समय पहले नवदीप सिंह की मनोरमा सिक्स फीट अंडर देखी हो तो अभय देओल के किरदार में आप आसानी से माइक नोमेड को आइडेंटीफाई कर सकते हैं। यह इंसान न तो बहुत शक्तिशाली है, न बहुत शार्प-तीक्ष्ण बुद्धि वाला, न ही जासूसी इसका शगल है। माइक नोमेड के भीतर अगर कोई खूबी है तो वह है ईमानदारी। अक्सर माइक को रोजगार की तलाश करते और बे-वजह इधर-उधर भटकते दिखाया जाता था। सच्चाई तो यह थी कि ये कैरेक्टर्स भारतीय पाठकों को बहुत अपील नही कर सके और इंद्रजाल प्रकाशन इनके जरिए फैंटम या मैंड्रेक जैसी लोकप्रियता नहीं हासिल कर सका।


एक और कैरेक्टर था गार्थ का। इस किरदार का संसार सुपरनैचुरल ताकतों से घिरा था। गार्थ अन्य कैरेक्टर्स के मुकाबले थोड़ा वयस्क अभिरुचि वाला था। गार्थ के रचयिताओं ने कई बेहतरीन क्राइम थ्रिलर भी दिए हैं। इसमें से एक तो इतना शानदार है कि बॉलीवुड में अब्बास-मस्तान उसकी नकल पर एक शानदार थ्रिलर बना सकते हैं। कहानी है जुकाम के उत्परिवर्ती वायरस की जो बेहतर घातक है [कुछ-कुछ स्वाइन फ्लू की तरह], इसकी खोज करने वाले प्रोफेसर की हत्या हो जाती है। प्रोफेसर की भतीजी, गार्थ और गार्थ के प्रोफेसर मित्र इस मामले का पता लगाने की कोशिश करते हैं। पता लगता है कि कुछ सेवानिवृत अधिकारियों और रसूख वालों ने अपराधियों को खत्म करने का जिम्मा उठाया है, एक गोपनीय संगठन के माध्यम से। वे एक के बाद एक अपराधियों को पहचान कर उन्हें ठिकाने लगाने में जुटे हैं। यह रोमांचक तलाश उन्हें ले जाती है हांगकांग तक, जहां एक बेहतर खूबसूरत माफिया सरगना इस त्रिकोणीय संघर्ष का हिस्सा बनती है। संगठन से जुड़े लोग हांगकांग की सड़कों पर मारे जाते हैं और उनका सरगना अपना मिशन फेल होने पर आत्महत्या कर लेता है।


इंद्रजाल की इस श्रंखला का आखिरी कैरेक्टर था सिक्रेट एजेंट कोरिगन। इस सिरीज के तहत प्रकाशित कहानियां दो किस्म की थीं। दोनों के चित्रांकन और कहानी कहने का तरीका बेहद अलग था। पहला वाला बेहद उलझाऊ और दूसरा बहुत ही सहज और स्पष्ट। पहले किस्म की कोरिगन की कहानियों को पढ़कर समझ लेना मेरे लिए उन दिनों एक चुनौती हुआ करता था। उन्हें पढ़ने के लिए विशेष धैर्य की जरूरत पड़ती थी, लगभग गोदार की फिल्मों की तरह। इसके रचयिता कम फ्रेम में बात कहने की कला में माहिर थे। मगर नैरेशन की कला का वे उत्कृष्ट उदाहरण थीं इनमें कोई शक नहीं।

एक्सट्रा शॉट्स

मेरी जानकारी में इंद्रजाल कॉमिक्स ने दो बिल्कुल अलग तरह की कॉमिक्स निकाली है। इनमें से एक है मिकी माउस की प्रलय की घड़ी। यह संभवतः साठ के दशक में प्रकाशित एक जासूस कहानी थी। मिकी माउस और गुफी के अलावा सारे चरित्र रियलिस्टिक थे। कहानी वेनिस की पृष्ठभूमि पर थी। वेनिस की नहरों, वहां की गलियों और पुलों का बेहद खूबसूरत चित्रण, उस कॉमिक्स के जरिए ही मैं वेनिस के बारे में जान सका। कहानी थी म्यूजियम में रखे गई एक अद्भुत मशीन की, जिसकी किरणें अगर किसी को ढक लें तो वह अदृश्य हो जाएगा। कुछ लोग साजिश रचकर वेनिस के जलमग्न होकर डूब जाने की अफवाह फैला देते हैं। देखते-देखते लोगों में भगदड़ मच जाती है और वे शहर छोड़कर जाने लगते हैं। इस बीच चोरों का दल उस मशीन को चुराने की कोशिश करता है जिसे मिकी माउस और गुफी नाकाम कर देते हैं।

सन् अस्सी में बाहुबली का मस्तकाभिषेक हुआ, जो हर बारह वर्ष बाद होता है। इसे उस दौर के मीडिया ने बहुत कायदे से कवर किया। शायद यह इंद्रजाल के मालिकानों की ख्वाहिश रही होगी, उस वक्त एक विशेष विज्ञापन रहित अंक निकला था जो अमर चित्रकथा स्टाइल में बाहुबली की कथा कहता था।
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यह पोस्ट मूल रूप से इंद्रजाल कॉमिक्स का स्वप्नलोक में प्रकाशित
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